क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं?

या रोजा रखने से बीमार होते हैं? डॉक्टर टीम की रिपोर्ट हाय माय ऑल डियर्स आज में आपको बताऊंगा कि क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं? के नंगे में तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें

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kya roza rkhane se bimar hota

क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं?

कुछ लोगन का कहना है की रोजा रखना से इंसान कमज़ोर बीमार पड़ जाता है जबकी ऐसा नहीं है (अल-मालफ़ूज़ भाग-2-पग-143) पर सरकार इमाम-ए-अहमद रज़ा ख़ान आर.ए. फार्मते हैं 1 साल रमजानुल मुबारक से कुछ अरसा पहले वाले मरहूम एच.मोलाना नकी अली खान ए.आर. ख़्वाब में तशरीफ़ लाए और फरमाया बेटा आने वाले रमज़ान शरीफ में तुम सच बीमार हो जाएंगे मगर ख्याल रखना कोई रोज़ा तुम से कज़ा (छूत) ना होने पाए

चुनांचे वलिदे गिरमी के इरशाद के मुताबिक हकीकत में रमजान में सच बीमार होगा लेकिन अल्लाह का अहसास अजीम का मेरा 1 भी रोजा ना छोटा और आलहजरत अर फार्मते हैं की रोजे की बरकत से कभी से ही से ही से हट गया है देखा का फरमान है
[ وْ موْ ا تَصِحُّوا ]

रोजा रखो सेहताब हो जाओगे

तो आपने जांलिया की रोजा रखने से याकिनन सेहत मिलती है मैदान का गर्म ठीक होता है बीमार नहीं’
क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं? हज़रत ए अली हदीस की रु से क्या कहते हैं

अमीरुल मोमिनीन हजरत मोला अली आर.टी.ए से मरवी है की अल्लाह के प्यारे हबीब सा.व. का फरमाने अजमत निशान है की Beshak अल्लाह ताला ने बनी इजरायल के 1 नबी ए सलाम की तराफ वही फरमाई की आप अपनी कोम को खबर दिजिए की जो भी बंदा मेरी खुशी के लिए 1 दिन का रोजा में भी हमारे साथ रखता है आता करता हूं और उसे अजीम अजर (सवाब) भी दूंगा (शुआबुल ईमान 2923)

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मेरे दोस्त इन हदीस से पता चलता है कि रोजा आजरो देखा के साथ हुसूले सेहत का भी जरा है और अब तो सांसदन भी अपनी तहकीकत में इस हकीकत को तस्लीम करने लगे हैं उदाहरण के लिए

मूर-पालीद_ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर कहता है में इस्लामी उलूम (विषय) पढ़ा रहा था जब रोजों के नंगे में पढ़ा तो ऊंचा पढ़ा की इस्लाम ने अपने मनने वालुन को कैसा अज़ीमुशन मुस्का दिया है मुझे बहुत हुआ है। रखना शूरु करदिया लेकिन अफ्सोस की कुछ लोगों का ये कहना क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं?

बहुत अजीब सा लगता है यारी प्रो. मूर पलिद का कहना था की कफी लम्बे वक्त से मेरे मीडे (معدے) पर गर्म था कुछ ही दिन के बाद मुझे तकलीफ में कामी महसूस हुई इस्के बाद में और जियादह यानी 1 महीना पूरा रोजा रखा की यहां मरज़ (मीदे का गर्म) बिलकुल सही होगा तो इस से सबित होगा की रोज़ा रखने से सेहत मिलती है ना की कोई बिमार होता है

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डॉक्टर्स की रिपोर्ट के अनुसार रोजा रखने के बालों में करने वाले के फायदे और नेक्स्ट ये भी कहता है की मैंने (ALF GAAL) होलेंद का पदरी ने शूगर, दिल, और मीडे, के मरिजुन को लगार 30 दिन के रोज रखवाए नतिजा ये निकला की शूगर वालुन की शूगर कंट्रोल में फूलना कम हुआ और मीदे के मरिजुन को सब से जियादह फैदा हुआ

1 अंगरेज़ का बयान है (सिगमेंड-फ़्राइड) माहिर नफ़सियत कहता है की रोज़ से जिस्मनी खिचाओ, ज़हनी डिप्रेशन, और नफ़सियत अमरज़ (बिमारीयूं) का ख़तमा होता है

डॉक्टर्स की तहकीकाती टीम क्या रोजा रखने से बीमार होते हैं?

1 अखबारी रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी, इंग्लैंड, और अमेरिका, के मोस्ट और माहिर डॉक्टरों की तहकीकाती टीम रमजानुल मुबारक में पाकिस्तान आई और उन्होन बाबुल मदीना कराची, मरकजुल-औलिया आर.ए. लाहौर, और दयारे मोहदिसे आजम ए.आर. सरदार आबाद (फैसलाबाद) का इंतखाब किया

जैज़ा के बाद उन्होन ये रिपोर्ट पेश की चंकी मुस्लिम नमाज पढते हैं और रमज़ा में कुछ ज़ियादा ही पबंदी करते हैं मतलाब नाक (नाक) कान (ईयर) और गले के ई.एन.टी. हैं इसलिय वजू करने से बिमारीयूं में कमी वके होती है और मुसलमान रोज की वजह से काम खाते हैं इस्लिए मैदान, जिगर, दिल, और आसब यानि पथुन के अमरज में बहुत कम मुबताला होते हैं

तो क्या आप अब भी कहेंगे की रोजा रखने से इंसान बीमार होता है जी नहीं बाल्की अब डॉक्टरी तहकीक को जाने के बाद कहना पड़ेगा की बे शक रोजा तो बिमारीयूं का खात्मा (द-एंड) करता है

रोजा इंसान को बीमार नहीं करता लेकिन शिफा याब जरूर करता है

मेरे मामले में रोज़ से कोई बिमार नहीं होता बाल्की इस्की वझा कोई और हो शक्ति है और इस गलत फ़हमी (ना समझौता) की वजह से रोज़ को बदनाम न करे बाल्की अपने रब का अज़ीम माने की उसने रोज़े से रोज़े है ये भी हो सकता है की सहरी-इफ्तारी में हो तो फिर दून वक्त खूबसूरत मुरगन यानी तेल, घी, चिकनी छुपी, गिजाओं के इस्तमाल और रात भर वक्त में रहते हैं इस्लिये सेहरी वो इफ्तारी के वक्त खाने पाइन में अहतियात बारातनी चाहिए

रात के दोरान पेट में गीज़ा का इतना ज़ियादह भी ज़खीरा (ओवर-फ़ुल) न करे की दिन भर डाकारेन आती रहे और रोज़ में भुक और प्यार का एहसास ही ना हो पाए क्योंकि अगर रोज़ की हलत में बिल्कूल रोज़ का क्या लुत्फ़?

रोज़ का मज़ा ही उस वक़्त है जब सख़्त गरमी हो शिद्दत की प्यार की होत

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